भोपाल. मप्र में अब जीएम (जेनेटिकली मोडिफाइड) फसलों के ट्रायल नहीं होंगे। राज्य के कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश को लिखे पत्र में इसका ऐलान किया।
यह कदम उठाने वाला मप्र, केरल के बाद देश का दूसरा राज्य है। सरकार के इस रुख से अब बहुराष्ट्रीय कंपनी मोनसेंटो द्वारा राज्य में किए जाने वाले जीएम मक्का के फील्ड ट्रॉयल भी खटाई में पड़ गए हैं।
इन ट्रायल को हाल ही में जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्रूवल कमेटी (जीईएसी) ने मंजूरी दी थी। ‘दैनिक’ भास्कर ने इस संबंध में 21 अप्रैल को ‘जहरीली मक्का पर सरकार मौन’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी।
इसके बाद विभिन्न संगठनों द्वारा आंदोलन करने की चेतावनी से राज्य सरकार सक्रिय हुई। मंगलवार को कुसमरिया ने जयराम रमेश को पत्र लिखकर साफ कर दिया कि राज्य
सरकार अब किसी भी जीएम फसल के ट्रॉयल की अनुमति नहीं देगी।
जीएम तकनीक और जीएम फसलों के फील्ड ट्रॉयल को स्वास्थ्य व पर्यावरण के लिए घातक बताते हुए कृषि मंत्री ने लिखा, ‘ मप्र सरकार ने सभी जीएम फसलों के ट्रायल को प्रतिबंधित करने और राज्य को पूरी तरह से जीएम खाद्य से मुक्त रखने का फैसला किया है।’
उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर भी ऐसी ही नीति अपनाने का केंद्र से आग्रह किया। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने जीएम फसलों के ट्रायल को अनुमति देने का फैसला राज्यों पर छोड़ दिया है। इसी को आधार बनाते हुए बिहार सरकार ने जीएम मक्का के ट्रॉयल पर रोक लगा दी थी।
लेकिन मप्र सरकार लगातार मौन बनी रही। अब प्रदेश सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला आगामी 11 मई को नई दिल्ली में जीईएसी की होने वाली बैठक में चर्चा का मुख्य विषय होगा।
यह प्रदेश के किसानों और आदिवासियों की जीत है। हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। इससे मप्र देश में अन्य राज्यों के लिए भी मिसाल बन सकेगा।
नीलेश देसाई, बीज स्वराज अभियान (जीएम फसलों के विरोध में अग्रणी संगठन)
मप्र सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले पर आगामी 11 मई को नई दिल्ली में जीईएसी की बैठक में चर्चा होगी। हालांकि अगर राज्य सरकार ने कोई फैसला कर लिया है, तो उसे अंतिम ही माना जाएगा। पुष्पमित्रा भार्गव, सदस्य, जीईएसी, नई दिल्ली
(दैनिक भास्कर की खबर)
http://www.bhaskar.com/article/MP-BPL-now-poisonous-crops-will-not-atroyal-2058432.html?HT1=
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