खेत-खलियान पर आपका स्‍वागत है - शिवनारायण गौर, भोपाल, मध्‍यप्रदेश e-mail: shivnarayangour@gmail.com

Thursday, December 13, 2007

मध्यप्रदेश में क्यों हो रही हैं भूख से मौतें

जबलपुर: हाईकोर्ट ने गुरुवार को सरकार से पूछा है कि प्रदेश में भूख और कुपोषण से मौतें क्यों हो रही हैं? चीफ जस्टिस एके पटनायक और जस्टिस अजीत सिंह की युगलपीठ ने एक जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 14 जनवरी को निर्धारित की है।
भोपाल के स्वयंसेवी संगठन ‘राइट टू फूड’ के कन्वीनर सचिन जैन की ओर से दायर इस जनहित याचिका में कहा गया है कि मध्यप्रदेश में पिछले दो से तीन साल में कुपोषण और भूख से मौत होने के मामले में अचानक वृद्धि हुई है।
याचिका के अनुसार नागरिकों को भोजन के अधिकार के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों का सरकार ने पालन नहीं किया, जिससे प्रदेश के कई खासकर ग्रामीण इलाकों में भूख और कुपोषण से लगातार मौतें हो रही हैं। याचिका के अनुसार राज्य सरकार भूखे लोगों को भोजन देने में नाकाम रही है। इस बारे में सरकार कोई सकारात्मक कदम नहीं उठा रही है। याचिका के अनुसार केन्द्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाएं इस बारे में बनी तो हैं, लेकिन राज्य सरकार योजना के लिए निर्धारित फंड में लगातार कटौती कर रही है।
इस संबंध में अनेक बार संबंधित अधिकारी और राज्य सरकार से शिकायत की गई, लेकिन मामले पर कोई कार्रवाई न होने पर यह याचिका दायर की गई। याचिका में राहत चाही गई है कि भूख से मौत होने के किसी भी मामले में पीड़ित परिवार को तत्काल दो लाख रुपए की राशि मुहैया कराने, ग्रामीण इलाकों में आंगनबाड़ी केन्द्र और सरकारी योजनाओं की निगरानी के लिए जिला स्तर पर नियुक्तियां कराने के निर्देश सरकार को दिए जाएं।
मामले पर आज हुई सुनवाई के दौरान आवेदक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एनएस काले और अधिवक्ता राघवेन्द्र कुमार ने अपनी दलीलें कोर्ट के समक्ष रखीं। सुनवाई के बाद अदालत ने अनावेदकों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं।
68 हजार परिवारों को भोजन नहीं!याचिका में बीपीएल जनगणना 2002 की रिपोर्ट का हवाला देकर आरोप लगाया गया है कि प्रदेश में गरीब परिवारों की स्थिति काफी दयनीय है। प्रदेश के 28 जिलों में 56 लाख से अधिक परिवार बीपीएल की सूची में आते हैं। इनमें से करीब 68 हजार परिवारों को पेट भरने और जीने के लिए पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं मिल पाता। करीब सवा लाख परिवार ऐसे हैं, जिन्हें दो वक्त की रोटी नहीं मिलती और डेढ़ लाख से अधिक परिवारों को रोजाना एक ही समय का भोजन मिलता है।
सरकार कर रही है कटौतीयाचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य में वृद्धावस्था पेंशन योजना, जननी सुरक्षा योजना, परिवार सहायता, अंत्योदय अन्न योजना, बीपीएल परिवारों के राशन कार्ड की योजना और आंगनबाड़ियों का संचालन सुचारु ढंग से नहीं हो पा रहा है। याचिका में आरोप है कि राज्य सरकार इन योजनाओं के लिए निर्धारित फंड में लगातार कटौती कर रही है, जो सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का खुला उल्लंघन है।

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