देश की खुदरा अर्थव्यवस्था पर रिलायंस और वालमार्ट जैसी विशाल कंपनियों के कब्जे से इस अर्थव्यवस्था के लिए आसन्न खतरों के प्रति आगाह कर रही हैं -डॉ वंदना शिवा'
भारत खुदरा व्यापार-लोकतंत्र का देश है'। देश में चारों तरफ लोग अपनी क्षमता के अनुसार हजारों साप्ताहिक 'हाट' और 'बाजार' लगाते हैं। ये स्थानीय स्तर पर खरीदारी का सबसे सस्ता और सुलभ माध्यम हैं। इसमें कोई दलाल भी नहीं होता। हमारी गलियां वास्तव में ऐसे जीवन्त बाजार हैं जो लाखों लोगों की सुरक्षित जीविका की स्रोत हैं। वस्तुत: भारत में दुनिया की सबसे ज्यादा दुकानें हैं। हजार लोगों पर 11 खुदरा-दुकानें, जिनमें गांव की दुकानें शामिल नहीं हैं।
पूरा लेख
1 comment:
एक निष्कर्ष तो यह निकलता है कि खुदरा दुकानों को बड़ी कंपनियों के बने बनाए माल के बजाय खासमखास माल रखना होगा।
Post a Comment