खेत-खलियान पर आपका स्‍वागत है - शिवनारायण गौर, भोपाल, मध्‍यप्रदेश e-mail: shivnarayangour@gmail.com

Tuesday, October 7, 2008

फसलों में पोषक तत्वों की कमी

मेरठ स्थित क्षेत्रीय भूमि परीक्षण प्रयोगशाला के सहायक निदेशक प्रदीप कुमार वर्मा के मुताबिक मेरठ व सहारनपुर मंडल में की गई वैज्ञानिक जांच में पाया गया हे गेहूं, दाल, चावल में पौष्टिक तत्वों की कमी आती जा रही हे। उन्होंने बताया कि किसानों के रासायनिक खाद का अधिक इस्तेमाल करने से जमीन केपोषक तत्वों का संतुलन गड़गड़ा रहा है। इसका असर यहां पर उगने वाली फसलों पर दिखाई दे रहा है। खाद्य पदार्थों मेें जहां आयरन व फास्फोस्रस की बेहद कमी सामने आई वहीं प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन व कैलोरी में भी पोषक तत्वों की कमी आंकी गई है।
श्री वर्मा के मुताबिक विभिन्न इलाकों से ली गई मिट्टी के नमूनों में जांच में पाया गया कि अंधाधुध रासायनिक खादों के इस्तेमाल से जमीन की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है। कार्बन की मात्रा 70 से 75 फीसद कम पाई गई वहीं जिंक 60-65, नाइट्रोजन 28-33, सल्फर 25-28 और पोटेशियम 20-25 प्रतिशत तक कम पाया गया। जमीन के इन आवश्यक पोषक तत्वों की कमी का असर अब यहां उगने वाली फसलों की गुणवत्ता पर प्रभाव डाल रहा है।
इन फसलों से पकाए गए दाल, रोटी, चावल में पोषक तत्वों की काफी कमी पाई गई है। सौ ग्राम दाल में आयरन की मात्रा 6 ग्राम की जगह 2.7 पाई गई वहीं रोटी में इस जरूरी तत्व की मात्रा 4.9 की जगह 2.7 पाई गई। चावल में इसकी मात्रा 0.7 की जगह 0.5 मिली है। जांच के दौरान फोस्फोरस की मात्रा दाल में 304 मिलीग्राम की जगह 300, रोटी में 355 की जगह 306, चावल में 160 के मुकाबले 150 पाई गई। कैल्षियम दाल में 110 मिलीग्राम की जगह 73, रोटी में 48 की जगह 41 पाया गया। फाइबर, कैलोरी और प्रोटीन की मात्रा पर भी असर देखने को मिलो है। दाल में फाइबर (रेष) की मात्रा 1.5 ग्राम के बजाय 1.3 पाए गए, रोटी में 1.9 ग्राम की जगह 1.7 व चावल में मानक के अनुरूप् 2 ग्राम पाई गई। खाद्य पदार्थों से मिलने वाली कैलोरी की मात्रा भी घटती जा रही हे। दाल में 33.8 की जगह 31.1, रोटी में 34.8 की जगह 33.8 और चावल में 345 की जगह 341 पायी गई। विकास के लिए जरूरी तत्व प्रोटीन की मात्रा दाल में 22.3 की जगह 21.8, रोटी में 12.1 की जगह 11 व चावल में मानक के अनुरूप 6.8 पाई गई। खा पदार्थों में पोशक तत्वों की गिरावट आने से चिकित्सक भी खासे चिंतित हैं। उनका मानना है कि पौष्टिक तत्वों की कमी का असर आदमी के षरीर में रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ेगा। इसका खासा असर बच्चों व महिलाओं पर पड़ने की संभावना है।


"फसलों में पोषक तत्वों की कमी" ये खबर गत 18 सितम्‍बर को हिन्‍दी के अखबारों में प्रकाशित एक खबर पर आधारित है। ये समस्या केवल मेरठ और सहारनपुर की ही नहीं है बल्कि अमूमन हर इलाके में रासायनिक उर्वरक का बेतहाशा इस्तेमाल किया जा रहा है। कई क्षेत्र तो ऐसे हैं जहॉं अब उत्पाकदन में ठहराव आ गया है। मजबूरी में लोग अब रासायनिक खाद का इस्‍तेमाल कम करने लगे हैं। जैविक खेती की ओर भी अब कई लोग लौटने लगे हैं। सरकारी ढॉंचों की भूमिका को भी आलोचनात्‍मक ढंग से देखने की जरुरत है। हम जानते हैं कि रासायनिक खादों और कीटनाशकों के इस्‍तेमाल के लिए भी कई तरह से प्रलोभित करने की कोशिश की गई है। आज सरकार भी जैविक खेती करने की बात कर रही है। प्राक्रतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन तो अब भी जारी है। आप अपनी टिप्‍पणीं इस पोस्‍ट पर डाल सकते हैं। शिवनारायण गौर

1 comment:

अनुनाद सिंह said...

यह तो सचमुच गम्भीर समस्या है।