खेत-खलियान पर आपका स्‍वागत है - शिवनारायण गौर, भोपाल, मध्‍यप्रदेश e-mail: shivnarayangour@gmail.com

Thursday, September 25, 2008

मध्यप्रदेश राज्य कृषक कल्याण आयोग ने दिए कृषि विकास के सुझाव

कृषि व इससे संबसंधित आधारभूत संरचनाओं के विकास की सबसे ज्यादा अहमियत देने की सलाह देते हुए मध्यप्रदेश राज्य कृषक कल्याण आयोग ने कहा है कि इसके लिए सरकार को उपलब्ध संसाधनों व योजनाओं की समीक्षा करना चाहिए।
एक जानकारी के मुताबिक राज्य को भेजे सुझावों में राज्य कृषक कल्याण आयोग ने कहा हे कि केवल खेती किसानी और संबंधित व्यवसायों की संभावनाएं ही किसानों को खेती की ओर आकर्षित कर सकती हैं। इसके लिए जरूरी है कि खेती को निरंतर रोजगार की संभावना वाला बनाया जाए। सुझावों में यह भी कहा गया है कि कृषि स्नातकों के लिए इस तरह का पैकेज होना चाहिए कि वे अपनी विशेषज्ञता के फायदे संपर्क सीमा में आने वाले क्षेत्र के दूसरे किसानों को भी पहुंचा सकें।
कृषि व संबंधित विभागों की योजनाओं के लक्ष्यों में संबंधित फसल का क्षेत्र विस्तार या इसी तरह के बिंदु रहते हैं। सभी योजनाओं का क्रियान्वयन किसान आधारित एकीकृत परियोजना के मुताबिक होना चाहिए। कृषि सेवा केंद्र और कृषि क्लीनिक जैसी सेवाओं को कृषि स्नपातकों के लिए आरक्षित कर उनका ज्यादा से ज्यादा विस्तार करने की जरूरत है।
राज्य कृषक कल्याण आयोग ने राज्य सरकार को भेजे सुझावों में कहा हे कि भू जल के संवर्धन, नलकूपों के सुधार, बिजली सहायक और टे्रक्टरों की मरम्मत आदि के लिए शिक्षित युवकों को ज्यादा से ज्यादा प्रशिक्षण्ा दिया जाए और केमिस्टों की तरह कृषि इनपुट दुकान खोलने के लिए भी कृषि स्नातकों की योग्यता अनिवार्य की जानी चाहिए। सरकार को कृषि स्नातकों को कृषि उपकरणों के निर्माण और विपणन से जोड़ने की पहल करनी चाहिए। इन उपकरणों के उन्नयन और विकास की अनुसंधानकारी पहल और विभागीग योजनाओं के क्रियान्वयन, सर्वेक्षण, मूल्यांकन व प्रश्िािक्षण जैसे कार्यों से भी कृषि स्नातकों को जोड़ना जरूरी है। शिक्षित व कृषि स्नातक युवकों को उनकी योग्यता और रुचि के मुताबिक विधाओं में संलग्न कर ग्रामीण क्षेत्रों में उनका सघन नेटवर्क कायम किया जाए।
आयोग ने राज्य सरकार से अपेक्षा की है कि वेयरहाउस, ग्रेडिंग यूनिट और कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाएं उत्पादन क्षेत्रों के पास ही होनी चाहिए जिससे किसानों को इससे ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके। खेती के व्यावसायिक और वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन के लिए इन इकाइयों की स्थापना में उद्योगपतियों के बजाए शिक्षित किसान युवकों को प्राथमिकता देकर विशेष पैकेज दिया जाए। आयोग प्रारंभिक शिक्षा की कक्षाओं में विशेषकर विज्ञान व पर्यावरण की पाठयपुस्तकों में खेती किसानी को लेकर दी गई वैज्ञानिक जानकारी बहुत उपयोगी मानता है। आयोग ने इसकी लगातार समीक्षा और इस क्षेत्र में होने वाले नए नए अनुसंधानों व खोजों को भी इसमें शामिल करनी की सलाह दी है। उच्चतर माध्यमिक विद्यालय स्तर पर कृषि विषय यको केवल अच्छे अंक प्राप्त करने का साधन मानने की बजाए राज्य सरकार को इसकी सार्थक शिक्षा पर बल देने की जरूरत है। इस समय माध्यमिक शिक्षा मंडल की मान्यताओं व नियमों में कृषि विषय का अलग से कोई उल्लेख नहीं है जबकि इसे आवश्यक तौर पर शामिल करना चाहिए। आयोग ने अपने सुझावों में कहा हे कि खेती किसानी के लिए विशिष्ट प्रयोगशालाएं और कृषि प्रक्षेत्र स्थापित करने चाहिए। विपणन की तार्किक, उन्नत, वैज्ञानिक और शोषणविहीन व्यवस्था युवकों को कृषि की ओर जोड़ने में मददगार होगी। इसके अलावा कृषि उपज आधारित उद्योग को अपने प्रदायकर्ता उत्पादकों के लिए प्रेरक की भूमिका निभानी चाहिए।

1 comment:

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

gaur ji
krishi par sarkari yojnaye chalava matr hai . aap krishi ke liye kisano ke liye ek samohik pahal ki shruat kare.