खेत-खलियान पर आपका स्‍वागत है - शिवनारायण गौर, भोपाल, मध्‍यप्रदेश e-mail: shivnarayangour@gmail.com

Wednesday, November 11, 2009

कृषि और किसान को खोखला करते रसायन

सचिन कुमार जैन

खेती में रासायनिक खाद और कीटनाशक के बेतहाशा उपयोग से पैदा हो रहे खतरों के अत्यधिक प्रचार के बावजूद मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के पेटलावद ब्लॉक में एक हेक्टेयर खेत में 600 से 800 किलोगा्रम रासायनिक उर्वरक और 5 से 10 लीटर रासायनिक कीटनाशक छिडके जा रहे हैं।
झाबुआ जिले के इस इलाके के किसानों द्वारा कपास टमाटर मिर्ची जैसी नकदी फसलों में उपयोग में लाए जा रहे रसायनों की यह मात्रा भारत के औसत उपयोग से 6 से 8 गुना और मध्यप्रदेश के औसत से 10 से 12 गुना है।
इतना ही नहीं देश में यह रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करके सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाले राज्य पंजाब 209.59 किलो, आंध्रप्रदेश 219.48 किलो और तमिलनाडु 186.68 किलो से भी कई गुना ज्यादा है। बेहद ऊंची लागत वाली इस नकद खेती का विस्तार होने से केवल किसानों पर सालाना आय से चार गुना ज्यादा कर्ज हो गया है बल्कि खेतों के उपजाऊपन पर भी नकारात्मक असर पड़ा है।

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