खेत-खलियान पर आपका स्‍वागत है - शिवनारायण गौर, भोपाल, मध्‍यप्रदेश e-mail: shivnarayangour@gmail.com

Tuesday, February 3, 2009

ये है गांव की कामकाजी महिला

शहरों में महिलांए किसी भी क्षेत्र में पुरूषों से पीछे नहीं हैं। लेकिन गांवों में सिकी के मामले में ऐसा नहीं है। हालांकि यहां की एक ग्रामीण महिला ने अब इसे संभव कर दिखाया है। वह पिछले 19 साल से खेती कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रही है। छत्तीसगढ़ में जांजगीर जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर स्थित झिलमिली गांव की रहने वाली बिटो निर्मलकर (39) न सिर्फ पुरूषों की तहर खेती किसानी करती है, बल्कि उसका पहनावा भी उन्हीं की तरह है। खेतों में पानी से लेकर हल चलाने तक के सारे काम वह खुद करती है। शुरू शुरू में उसकी हिम्मत देखकर ग्रामीणों को अचंभा होता था, पर अब वे सभी उसकी हिम्मत और मेहनत का लोहा मानते हैं। खेती-खलिहानी में बिटो के दो छोटे भाई उसका हाथ बंटाते हैं। तीनों मिलकर अपने पुरखों की चार एकड़ जमीन के अलावा गांव के अन्य किसानों की तीन एकड़ जमीन पर भी खेती करते हैं।
बिटो के पिता दाउराम ने बेटे की चाह में दो शादियां की थीं। हालांकि बहुत दिनों तक घर में लड़का नहीं हुआ। बिटो शुरू से ही परिवार में बेटे की तरह रही और खेती में पिता का हाथ बंटाती थी। इस बीच उसके दो भाई हुए। पिता का निधन होने के बाद दो मां, तीन छोटी बहनों और दो भाईयों की जिम्मेदारी उसी पर आ गई।
बिटो की मां धनकुंअर ने बताया कि बिटो ने अपनी तीनों बहनों और दोनों भाईयों की शादी खुद अपने बलबूते करवाई है। हालांकि जिम्मेदारियों के चलते उसने खुद शादी नहीं की।
मुकेश बैस, जांजगीर, छत्तीसगढ़
साभार: दैनिक भास्कर

एक महिला के संघर्ष की सफल गाथा है बिटो की कहानी। बिटो के जैसी कई और भी महिलाएं अलग अलग क्षेत्रों में देखने को यदा कदा मिलती हैं जिन्होंने जिन्दगी की नई परिभाषा गढ़ी है। यदि आप भी अपने आस पास नज़र दौड़ाई तो निश्चित ही इस तहर के साहसी काम करते हुए लोग दिखेंगे। खेत खलियान की ओर से शिवनारायण गौर

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