खेत-खलियान पर आपका स्‍वागत है - शिवनारायण गौर, भोपाल, मध्‍यप्रदेश e-mail: shivnarayangour@gmail.com

Thursday, July 17, 2008

विदर्भ के किसानों की ऋणमाफी मात्र छलावा

नागपुर। विदर्भ जन आन्दोलन समिति ने अपनी विज्ञप्ति में आरोप लगाया है कि ऋणमाफी विदर्भ के किसानों की ऋणगस्तता के सामने ऊँट के मुंह में जीरे के समान है। अब जबकि यह आधिकारिक रूप से तय हो चुका है कि पश्चिम विदर्भ कृषक आत्महत्याओं से सर्वाधिक प्रभावित है तो भी उसे कुल 71 हज़ार करोड़ की ऋण माफी में से मात्र 507 करोड़ रुपए ही मिले हैं। इस क्षेत्र में किसानों पर ऋण के रूप में 5876 करोड़ रुपए बकाया हैं वहीं वर्तमान ऋण मुक्ति फार्मूले की वजह से 80 प्रतिशत किसानों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।
विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है नाबार्ड ने प्रधानमंत्री द्वारा किए गए वादे को तोड़ दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि नाबार्ड अगले तीन वर्षों तक लगातार ऋण उपलब्ध करवाएगा। परन्तु नाबार्ड ने किसानों को मात्र एक बार ऋण उपलब्ध करवाया। सन 2005 से अब तक क्षेत्र के 6 हज़ार से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं। समिति ने मांग की है कि किसानों के सामुहिक नरसंहार को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

No comments: