खेत-खलियान पर आपका स्‍वागत है - शिवनारायण गौर, भोपाल, मध्‍यप्रदेश e-mail: shivnarayangour@gmail.com

Tuesday, January 19, 2016

ब्रिटेन के भोजन का ग्रीनहाउस प्रभाव



युरोप के कई देशों और खासकर युनाइटेड किंगडम में कई वर्षों से एक नया रुझान देखा जा रहा है। ये देश जितने भोजन का उपभोग करते हैं उसका एक बड़ा हिस्सा अन्य देशों में उगाया जाता है। इन अन्य देशों में इसकी वजह से जो ग्रीनहाउस गैसें वायुमंडल में फैलती हैं उनका हिसाब पहली बार किया गया है। मसलन, युनाइटेड किंगडम की भोजन खपत से सम्बंधित ग्रीनहाउस गैसों में से 64 प्रतिशत का उत्सर्जन अन्य देशों में हुआ।
युनाइडेट किंगडम आजकल अपना लगभग आधा भोजन बाहर से आयात करता है। 1986 से 2009 के दरम्यान युनाइटेड किंगडम के लोगों के लिए भोजन पैदा करने हेतु ज़मीन में 23 प्रतिशत वृद्धि हुई जिसमें से 74 प्रतिशत विदेशों में हुई थी।
इसी प्रकार से पशु चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला सोयाबीन, कोको तथा गेहूं भी अधिकांशत: विदेशी भूमि पर उगाए गए थे। इनके अलावा युनाइटेड किंगडम में उपभोग के लिए फल-सब्ज़ियां भी बढ़ती मात्रा में स्पैन व अन्य देशों से आयात की जा रही हैं।
2008 में युनाइटेड किंगडम की खाद्य आपूर्ति की वजह से 21.9 मेगाटन ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन हुआ। इस उत्सर्जन में से 18 प्रतिशत दक्षिण अमेरिका में और 15 प्रतिशत युरोपीय संघ के देशों में हुआ।
जरनल ऑफ रॉयल सोसायटी इंटरफेस में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि अन्य युरोपीय देश भी युनाइटेड किंगडम के नक्शे कदम पर चल रहे हैं। इस रिपोर्ट के एक लेखक एबर्डीन विश्वविद्यालय के हेनरी डी रुइटर का मत है कि इन रुझानों के मद्देनज़र अब इन देशों के लिए सिर्फ अपनी भूमि पर होने वाले उत्सर्जन को नहीं बल्कि इनकी वजह से अन्यत्र हो रहे उत्सर्जन को भी हिसाब में लिया जाना चाहिए। ये देश जो कुछ खाते हैं उसका असर अन्य देशों में हो रहा है। (स्रोत फीचर्स)

No comments: