खेत-खलियान पर आपका स्‍वागत है - शिवनारायण गौर, भोपाल, मध्‍यप्रदेश e-mail: shivnarayangour@gmail.com

Wednesday, October 1, 2014

बगैर जुते खेत ठंडक पैदा करते हैं



प्रोसीडिंग्‍स ऑफ नेशनल एकेडमी आफसाइन्‍सेज़ में प्रकाशित एक शोध पत्र में बताया गया है कि यदि खेत में जुताई न की जाए तो फसल क्षेत्र के आसपास के तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस तक की कमी आती है। एक प्रकार की प्राकृतिक खेती में बीज बोने से पहले खेत की जुताई नहीं की जाती।
यह अध्‍ययन स्विस फेडरल इंस्‍टीट्यूटआफ टेक्‍नॉजॉली की जलवायु विशेषज्ञ सोनिया सेनेविरत्‍ने और उनके साथियों ने फ्रांस के दक्षिण-पूर्व में स्थित प्रोवेंस क्षेत्र में किया है।
आमातोर पर गैर-जुताई खेती इसलिए अपनाई जाती है ताकि भूक्षरण कम से कम हो। जब खेत में जुताई नहीं की जाती और पिछली फसल के अवशेषों को वहीं छोड़ दिया जाता है तो मिट्टी में नमी बनी रहती है। मगर पानी के वाष्‍पन की वजह से मिट्टी का तापमान भी कम होता है। मगर हाल के अध्‍ययन से पता चलता है कि बिना जुते खेतों के आसपास का तापमान अपेक्षाकृत कम रहता है।
सेनेविरत्‍ने का कहना है कि बिना जुते खेतों का तापमान कम रहने का कारण यह है कि ऐसे खेत धूप को ज्‍यादा मात्रा में परावर्तित कर देते हैं। इसे एल्‍बीडो प्रभाव कहते हैं। उन्‍होंने पाया कि गर्मी के महीनों में बगैर जुते खेत सामान्‍य खेतों की अपेक्षा 50 प्रतिशत ज्‍यादा परावर्तक होते हैं।
पहले किए गए अध्‍ययनों में पता चला था कि यह ठंडक बहुत अधिक नहीं होती है। मगर सेनेविरत्‍ने और उनके साथियों के अध्‍ययन से पता चलता है कि ठंडक का असर गर्मियों के महीनों में और वह भी सबसे गर्म दिनों में सबसे ज्‍यादा होता है। उन्‍होंने पाया कि साल भर का औसत देखेंगे तो बिना जुते खेतों का तापमान अन्‍य खेतों की अपेक्षा मात्र 1 डिग्री सेल्सियस कम रहता है मगर यदि कर्मी के सबसे कर्म दिनों का तापमान 1.6 डिग्री सेल्सियस तक कम रहता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक दक्षिणी यूरोप में तो 2 डिग्री सेल्सियस तक का फर्क पड़ सकता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक होता यह है कि आम दिनों में धूप के कारण तापमान बढ़ता है और मिट्टी से पानी के वाष्‍पन की वजह से कम होता है। चूँकि जुते हुए खेतों में वाष्‍पन अधिक होता है इसलिए दोनों तरह के खेतों में तापमान में अंतर ज्‍यादा नहीं होता। मगर बहुत गर्म ‍दिनों में धूप और उसके परावर्तन काअसर हावी हो जात है और इन परिस्‍थतियों में बिना जुते खेत जयादा धूप को परावर्तित करके अपेक्षाकृत ठंडे बने रहते हैं।
इस अध्‍ययन से तो लगता है कि जितने बड़े क्षेत्र में गैर-जुताई खेती की जाएगी, तापमान को कम रखने में उतनी ही मदद मिलेगी। और नमी बनाए रखने व भूमि-क्षरण रोकने जैसे अन्‍य फायदे तो हैं ही। (स्रोत फीचर्स से)

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