खेत-खलियान पर आपका स्‍वागत है - शिवनारायण गौर, भोपाल, मध्‍यप्रदेश e-mail: shivnarayangour@gmail.com

Wednesday, April 28, 2010

मोन्सेन्टो के मक्के के बीज से उपजी फसल फलहीन

कृषि राज्य मंत्री के वी थामस ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि बिहार में बड़े भू-भाग पर अमेरिका की मोन्सेन्टो कंपनी द्वारा तैयार संकर नस्ल के बीज “कारगिल..900 एम एम” बोने के बाद मक्के की फसल में दाने नही आए।

उन्होंने बताया कि बिहार के राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय की रिपोर्ट के अनुसार प्रतिकूल मौसम के कारण उत्पन्न परिस्थितियों के कारण अक्तूबर 2009 में बोए गए “कारगिल 900 एम एम.” मक्का में दाने नहीं आने के कारण लगभग 61,000 हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का की फसल को नुकसान पहुंचा है।

श्री थामस ने बताया कि देश में मक्का की अनुवांशिक रूप से संशोधित (जेनेटिकली मॉडीफाइड) फसल की अनुमति नहीं है। कृषि राज्यमंत्री ने कहा कि मोन्सेन्टो समेत सभी संकर फसलों में दाना नहीं आने की सूचना मिली है। इसी कारण बिहार सरकार ने प्रभावित किसानों को दस- दस हजार रपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा देना स्वीकृत किया है।

ज्ञातव्य है कि हाल ही में जिस बीटी बैंगन को लेकर देशभर के किसानों के विरोध के कारण सरकार ने इस पर और व्यापक स्तर पर अनुसंधान के बाद ही इसे प्रयोग में लाने का निर्णय लिया था, वह भी मोन्सेन्टो कंपनी का ही था। कृषि राज्य मंत्री के वी थामस ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि बिहार में बड़े भू-भाग पर अमेरिका की मोन्सेन्टो कंपनी द्वारा तैयार संकर नस्ल के बीज “कारगिल..900 एम एम” बोने के बाद मक्के की फसल में दाने नही आए।

उन्होंने बताया कि बिहार के राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय की रिपोर्ट के अनुसार प्रतिकूल मौसम के कारण उत्पन्न परिस्थितियों के कारण अक्तूबर 2009 में बोए गए “कारगिल 900 एम एम.” मक्का में दाने नहीं आने के कारण लगभग 61,000 हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का की फसल को नुकसान पहुंचा है।

श्री थामस ने बताया कि देश में मक्का की अनुवांशिक रूप से संशोधित (जेनेटिकली मॉडीफाइड) फसल की अनुमति नहीं है। कृषि राज्यमंत्री ने कहा कि मोन्सेन्टो समेत सभी संकर फसलों में दाना नहीं आने की सूचना मिली है। इसी कारण बिहार सरकार ने प्रभावित किसानों को दस- दस हजार रपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा देना स्वीकृत किया है।

ज्ञातव्य है कि हाल ही में जिस बीटी बैंगन को लेकर देशभर के किसानों के विरोध के कारण सरकार ने इस पर और व्यापक स्तर पर अनुसंधान के बाद ही इसे प्रयोग में लाने का निर्णय लिया था, वह भी मोन्सेन्टो कंपनी का ही था।

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