खेत-खलियान पर आपका स्‍वागत है - शिवनारायण गौर, भोपाल, मध्‍यप्रदेश e-mail: shivnarayangour@gmail.com

Sunday, November 25, 2007

नई किसान नीति

शुक्रवार को संसद में पेश राष्ट्रीय किसान नीति में किए गए हैं। नीति में कृषि को लाभप्रद बनाने के लिए भूमि, सिंचाई, फर्टिलाइजर, कीटनाशक और बीजों के उचित प्रबंधन की जरूरत पर जोर दिया गया है।
घटती भूमि और कृषि उत्पादन बढ़ाने की जरूरत को पूरा करने के लिए अब और खेती की जमीनों के गैर कृषि उपयोग पर प्रतिबंध लगाने जैसे कड़े कदम उठाने की बात कही गई है। साथ ही यह नुक्ता भी जोड़ा गया है कि अगर किन्हीं कारणों से खेती की जमीनों का उपयोग गैर कृषि कायरें में किया जाता है तो उतनी ही बंजर व ऊसर भूमि को खेती लायक बनाना अनिवार्य होगा। उन्नत बीजों की जरूरतों को पूरा करने के लिए किसान बीज कंपनी बनाने का प्रावधान भी किया गया है। फर्टिलाइजर व कीटनाशकों का उचित प्रयोग न होने से फसलों को भारी नुकसान होता है।
खेती के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने और सिंचाई की सुविधाओं में वृद्धि के उपायों का भी जिक्र नई नीति में किया गया है। मौजूदा संसाधनों से ही सिंचाई में 10 प्रतिशत की वृद्धि संभव है। इसके लिए जल प्रबंधन में सुधार की जरूरत बताई गई है। किसानों को उनकी फसलों के उचित मूल्य दिलाने और आय के अन्य साधन मुहैया कराए जाएंगे। खेती में पुरुषों के साथ महिलाओं की हिस्सेदारी को बढ़ाने के उपाय भी किए जाएंगे।
आसान कृषि ऋण के लिए ग्रामीण बैंकिंग प्रणाली बढ़ाने की तत्काल जरूरत है, जिससे उन्हें पर्याप्त और रियायती दरों पर ऋण मिल सके। निचले स्तर तक कृषि ऋण और बीमा सुविधाएं उपलब्ध होने से कृषि उत्पादकता में स्वाभाविक वृद्धि होगी। खेती अति जोखिम वाला क्षेत्र है, जिसमें फसलों की बुआई से लेकर खलिहान तक खतरे ही खतरे हैं। इसमें किसान व फसलों का बीमा उसे सुरक्षा प्रदान करेगा।
कृषि शिक्षा व अनुसंधान के क्षेत्र में पर्याप्त सुधार की जरूरत बताई गई है, जिसके लिए पाठ्यक्रमों में संशोधन आवश्यक है। कृषि स्नातकों को खेती व उससे जुडे़ व्यवसाय की ओर आकर्षित करने के उपाय किए जाएंगे। किसानों की सामाजिक सुरक्षा के साथ खेती के साथ अन्य गैर कृषि रोजगार भी उपलब्ध कराने के प्रावधान होने चाहिए। नई किसान नीति में खेती से जुड़े अन्य रोजगार दुग्ध उद्योग, मुर्गीपालन, मत्स्य पालन और बागवानी को पूरी तरजीह दी गई है। नई नीति में खेतिहर-मजदूरों के लिए गांवों के तालाबों व अन्य जोहड़ों को मत्स्य पालन के लिए आवंटित करने की बात कही गई है।

1 comment:

समयचक्र said...

बहुत बढ़िया जानकारी