कोलकाता : कोलकाता हाई कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि वह नंदीग्राम में 14 मार्च की पुलिस गोलीबारी और हिंसा की जांच जारी रखे और एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करे। चीफ जस्टिस एस. एस. निज्जर और जस्टिस पिनाकी चंद घोष की बेंच ने कहा कि उस दिन की पुलिस कार्रवाई को अदालत में सही नहीं ठहराया जा सकता है। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार को 14 मार्च को नंदीग्राम में मारे गए, घायल हुए लोगों तथा बलात्कार और यौन दुर्व्यवहार की शिकार महिलाओं के लिए मुआवजे का पैकेज जारी करना चाहिए। बेंच ने कहा कि मारे गए लोगों के परिजन को कम से कम 10 लाख रुपये और घायलों के नजदीकी रिश्तेदार को कम से कम 5 लाख रुपये दिए जाने चाहिए। इसी तरह बलात्कार का शिकार हुई महिलाओं को कम से कम 8 लाख रुपये तथा यौन दुर्व्यवहार की पीड़ा झेलने वाली महिलाओं को कम से कम 2 लाख रुपये दिए जाएं। चीफ जस्टिस ने 14 मार्च की घटना के बाद सुओ मोटो लेते हुए मामला शुरु किया था और सीबीआई से पुलिस गोलीबारी तथा हिंसा की जांच करने तथा एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने को कहा था। तब से इस मामले में 10 और जनहित याचिकाएं दाखिल की गईं और उन पर सुनवाई जुलाई में पूरी हुई। प्रदेश सरकार ने अदालत में हलफनामा दाखिल किया था जिसमें उसने नंदीग्राम में पुलिस गोलीबारी को उचित ठहराया था। हलफनामा दाखिल करने के बाद राज्य सरकार ने नंदीग्राम की घटना की बर्दवान के डिप्टी कमिश्नर से प्रशासनिक जांच कराने का आदेश दिया था। मुआवजे के बारे में हाई कोर्ट के आदेश के बारे में पूछे जाने पर गृह विभाग के सचिव पी. आर. राय ने कहा, 'सरकार को मुआवजे पर अदालत के आदेश का पालन करना होगा।' यह बताए जाने पर कि अदालत ने पुलिस गोलीबारी के बारे में प्रदेश सरकार की दलीलें खारिज कर दी हैं उन्होंने कहा, 'हमें आदेश की प्रति नहीं मिली है।' प्रदेश सरकार ने मारे गए 14 लोगों के परिजन के लिए 8 नवंबर को 2-2 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की थी लेकिन घायलों को मुआवजा देने से इनकार कर दिया था।
No comments:
Post a Comment