खेत-खलियान पर आपका स्‍वागत है - शिवनारायण गौर, भोपाल, मध्‍यप्रदेश e-mail: shivnarayangour@gmail.com

Saturday, November 3, 2007

मध्य प्रदेश के 50 फीसदी किसान कर्ज के जाल में उलझे हैं

भोपाल, 7 सितंबर
मध्य प्रदेश, जहां करीब 73 फीसदी से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर है, में करीब 50 फीसदी किसान कर्ज के जाल में उलझे हुए हैं। एक नए अध्ययन से इसकी पुष्टि होती है। नेशनल सैम्पल सर्वे ऑर्गनाइजेशन ने यह निष्कर्ष निकाला है।
कर्ज जाल में उलझे किसानों पर इस संगठन द्वारा किए गए ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक राज्य के कुल 64 लाख किसानों में से 32 लाख किसान कर्जदार बने हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि किसानों के कर्जदार बनने की उच्च दर की प्रमुख वजह है सरकारी वित्तीय संस्थानों में किसानों का विश्वास खत्म होना। कर्ज लेने के लिए किसानों को जटिल सरकारी औपचारिकताओं से गुजरना पड़ता है। वहीं सरकारी अधिकारी कर्ज की वसूली के लिए उनके साथ अमानवीय व्यवहार करते रहे हैं। ऐसे में 40 फीसदी से अधिक किसान गैर-सरकारी एजेंसियों से उच्च दर पर कर्ज लेने को बाध्य हैं। सर्वेक्षण के मुताबिक औसतन हर किसान पर 14,128 रुपये का कर्ज है।
सकल घरेलू उत्पाद में जैसे-जैसे कृषि क्षेत्र का योगदान घटता जा रहा है, किसानों की उपेक्षा बढ़ती जा रही है। 1960-61 में सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का कुल योगदान 59।9 फीसदी हुआ करता था जो 2001 में घट कर 25.8 फीसदी रह गया। इस अवधि में राज्य में कृषि पर लोगों की निर्भरता में अधिक कमी नहीं आई है। 1960-61 में जहां 79.3 फीसदी लोग कृषि पर निर्भर थे, वहीं 2001 में इसमें मामूली गिरावट आई है। अभी भी 72.9 फीसदी लोग कृषि क्षेत्र पर निर्भर हैं। राइट टु फूड केम्पेन के सचिन जैन कहते हैं कि लगता है सरकार खाद्य उत्पादन को प्रोमोट करने में अधिक दिलचस्पी लेना नहीं चाहती और न ही उसे किसानों की परवाह है। उन्होंने कहा कि सरकार की दिलचस्पी इसमें है कि किसान अधिक पैमाने पर व्यावसायिक खेती करें। वे किसानों से कपास, सोयाबीन, जत्रोफा आदि की खेती में अधिक दिलचस्पी की उम्मीद करते हैं। यही वजह है कि राज्य में खाद्य उत्पादन का दायरा सिमटता जा रहा है। पिछले तीन वर्षों में घटिया किस्म के बीजों के कारण हजारों किसानों की आजीविका पर असर पड़ा है।

1 comment:

Udan Tashtari said...

चिन्ताजनक.